Monday, 22 April 2024

भाई का हक कभी न छीनना अपने बेटों के लिए

भाई का हक छीन कर कभी बेटे केलिए संपत्ति मत बनाना 
परिणाम सबको पता है
रामायण से अच्छा उदाहरण क्या है
कैकेयी ने अपने बेटे के लिए राज्य लिया 
एक का हक छीन कर 
परिणाम पूरी अयोध्या को भुगतनी पडी
राम वन वन में भटके तो यहाँ जन जन भी विरह में तडपे 
सदबुद्धि मिली भरत को कि राज्य को अस्वीकार कर दिया 
सिंहासन पर खडाऊं रख शासन किया राम का प्रतिनिधि बन
एक की गलती किसी को चैन से न रहने दी 
वहाँ राम संन्यासी यहाँ भरत संन्यासी 
अगर भरत ने राज्य लिया होता तो आज कैकेयी से ज्यादा घृणित पात्र वे होते 
वह तो माँ थी स्नेह वशीभूत हो किया पर भरत??
उनसे बडा स्वार्थी कोई नहीं होता 
कैकयी कहती है
निज स्वर्ग इसी पर वार दिया था मैंने 
हर तुम तक से अधिकार लिया था मैंने 
वही लाल आज यह रोता है 
पुत्र कुपुत्र भले हो माता हुई न कुमाता 
तब राम कहते हैं 
धन्य धन्य वह एक लाल की माई
जिस जननी ने जना भरत सा भाई
भरत जैसे भाई को जन्म देने वाली माता कुमाता तो हो ही नहीं सकती 
आज तो जग ऐसा स्वार्थी बना बैठा है कि बाप तो धृतराष्ट्र बने ही हैं 
उनकी संतानें भी कौरव ही है 
एक भी युयुत्स जैसा नहीं है
जब मनुष्य को अपनी संतान के सामर्थ्य पर भरोसा न हो 
वह उनके लिए भाई से बेईमानी करने पर उतारू हो
कब तक 
भोगना तो पडेगा 
उनको भी और उनकी संतानों को भी
पाप का भागी नहीं केवल व्याध 
जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध

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