गर्म वातावरण और गर्मा गया है
दलबदल शुरू हो गया
एक दूसरे पर दोषारोपण
पार्टी छोड दूसरे में शामिल
नैतिकता की दुहाई दे रहे
छोडने का कारण बता रहे
एक - दूसरे को दोषी ठहरा रहें
जबकि बात तो कुछ और है
समझ सबको आ रही है
सत्ता का लालच और अपना स्वार्थ
जिस देश में गाँव का प्रधान भी मालामाल हो जाता पांच साल में
तब नेता की बात तो छोड़ ही दे
भ्रष्टाचार की बात तो बेमानी
सबकी झोली भरी है
जनता के पैसों पर ऐश
करोडों का हेरा - फेर
आदत हो गई है
फुटबाल की तरह ढुलको
जहाँ मिले मलाईदार कुर्सी
सब किस्सा कुर्सी का है
बहाना छोडने का तो बस दिखावा है ।
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