Sunday, 21 April 2024

डंक मारना

बिच्छू ने डंक मारा हर दम
उसकी ही संतानों ने उसे नोचा तब तक
जब तक मांस का एक टुकड़ा भी रहा तन पर 
यह भी तो कर्मों का ही लेखा है
अपनी ही संतान को जन्म देने से नाश
जिंदगी फिर डंक मारने के लिए तो बचती नहीं है
हाॅ अपने जैसे दो - चार पैदा कर जाती है
मरने के बाद भी निशानी छोड जाती है
कुछ भला तो नहीं किया
नया डंक मारने वाले को तैयार कर दिया 
समाज में भी बहुत से बिच्छू घूम रहे हैं 
कुछ हैं नहीं 
लेकिन उनके वारिस हैं तहलका मचाने को
लोगों को डराने को
लूट पाट मचाने को
विरासत में मिलती है यह सत्ता 
अपराध जगत के बादशाह का बेटा भी बादशाह ही रहता है
हुकुमत चलाता है
यह सिलसिला चलता रहा है
समाज देखता रहा है
सदियों से यही होता आया है ।

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