Friday, 13 December 2024

आखिर क्यों ??

मैं उनको बहुत चाहती हूँ 
वे मेरे दिल के पास रहते हैं
मन में रहने वालों से ही मन नहीं मिलता
अक्सर होता यह है कि 
सामने पड़ना ही नहीं चाहते
पड़े तो दिल खोलकर बात नहीं होती
एक संकोच का भाव 
कहीं न कहीं नाराजगी 
अंजान के आगे दिल खोल लेते हैं
मन की बातें खुलकर कह देते हैं
हंसते और खिलखिलाते हैं साथ-- साथ 
कोई संकोच नहीं 
असमंजस में कभी-कभार सोच-विचार कर देखे 
बड़ी दुविधा लगती है
जिनपर प्रेम और विश्वास 
जिनके लिए फिक्र मंद 
उन्हीं के साथ ऐसा
आखिर यह बात अभी तक कुछ समझ न आई 

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