अक्सर ही ऐसा होता है
एक मेरी जन्मदात्री
एक की मैं जन्मदात्री
दोनों से मैं मिली
एक प्रभात की तरफ
दूसरी की सांध्य बेला
उसमें मैं कहाँ
महसूस हुआ
मैं तीव्र चमचमाती दोपहरी
सेतु हूँ बीच की
एक का मैं अंश
एक मेरा अंश
एक का मैं खून
दूसरा मेरा खून
दोनों ही दिल में समाए
कर्तव्य भी दोनों के प्रति
किसके प्रति ज्यादा किसके प्रति कम
महसूस हुआ
जिसकी जन्मदात्री मैं हूँ
एक मां है एक की मां मैं हूँ
जिनको लाने का कारण मैं हूँ
तब जिम्मेदारी भी ज्यादा उसी की
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