Monday, 20 January 2025

कुंभ नगरी में मोनालिसा

एक अप्सरा सी भी आई है
कुंभ गली में
नीली - नीली सी ऑखें
सावलां- सलोना रंग
निश्छल सा सौंदर्य 
सबको है लुभाती
पड़े है लोग उसके पीछे
मीडिया तो जी - जान से 
ऐसा लगता है 
पहली बार सौंदर्य के दर्शन 
सुन रहे हैं 
वह भाग रही है 
अपने को छुपा रही है
माला बेचने आई थी
रोजी - रोटी का सवाल 
वह भी हो गया मुश्किल 
सौंदर्य ही बाधा 
यह एक मोनालिसा नहीं
न जाने अनगिनत है
जिन्हें छुपाया जाता है
समाज की नजरों से बचाया जाता है
समाज की नजरों में सौंदर्य नहीं
वासना की झलक होती है 
वह औरत को शांति से जीने नहीं देता 
वह भी गरीब हो तो और भी 
डर लगता है 
वह मोनालिसा की हंसी छीन न ले 
ऑंखों में खौफ न भर दे 
निडर- निर्भीक को कमजोर न कर दें
यही नहीं हर मोनालिसा  सुरक्षित हो 
सरकार, समाज, परिवार सबको सुनिश्चित करना है 
सौंदर्य को सराहा जाए 
उसको खिलवाड़ न बनाया जाएं 

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