कोई किसी का नहीं है
सब है मतलब के ठेकेदार
जब तक मतलब तब तक तुम सा कोई नहीं
मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
कब रंग बदले भनक ही नहीं
सीने से लगा पीठ पर छुरा भोकने वालों की कमी नहीं
मुख पर मीठा - मीठा
पीठ पीछे बुराई का पिटारा
चाहे कितना भी भला कर लो
अपनी फितरत नहीं छोड़ेंगे
मौका मिला तो डसने से नहीं चुकेगे
इन आस्तीन के सांपों से बचकर रहना
कब जिंदगी में जहर घोल दें
कब कहर बन टूट पड़े
इन्हें पहचान लो
दूरी बना लो
सामने पड़े तो राम - राम कह लो
बिना रुके अपने रास्ते निकल लो
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