नहीं उठाने आया कोई
धक्का अवश्य देने की कोशिश रही
जब - जब उठा
जब - जब उड़ा
लोगों ने तब भी खींचा नीचे
गिराने में मजा है शायद
तभी तो ऐसा होता रहा
मन इतना बड़ा नहीं बना
दूसरों की तरक्की देख खुश हो
आ जाते हैं खबर लेने
क्या चलता है
दूसरों की जिंदगी में
अपने पर तो जोर नहीं
दूसरों में दखलअंदाजी
यही है उनकी जीवनी
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