Tuesday, 21 January 2025

जब - जब गिरा

जब - जब गिरा 
नहीं उठाने आया कोई 
धक्का अवश्य देने की कोशिश रही
जब - जब उठा 
जब - जब उड़ा 
लोगों ने तब भी खींचा नीचे 
गिराने में मजा है शायद 
तभी तो ऐसा होता रहा
मन इतना बड़ा नहीं बना
दूसरों की तरक्की देख खुश हो 
आ जाते हैं खबर लेने
क्या चलता है 
दूसरों की जिंदगी में
अपने पर तो जोर नहीं
दूसरों में दखलअंदाजी 
यही है उनकी जीवनी 

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