Friday, 24 January 2025

बाद का चक्कर

मैं करता रहा बाद  - बाद
कहता रहा बाद में
क्या है कर लेंगे बाद में
हो जाएगा बाद में
टालता गया हर मौके को
बहुत कुछ कर सकता था
नहीं कर पाया इस बाद के चक्कर में
इतनी जल्दी क्या है 
कहाँ भागे जा रहे हैं
घूम - फिर लेंगे बाद में
मौज - मजा कर लेंगे बाद में
पहन - ओढ़ लेंगे बाद मे
कभी मजबूरी में
कभी अनिच्छा में 
कभी आलस में
यह नहीं सोच पाया
हम तो नहीं भागे 
समय भाग गया 
वह आगे बढ़ गया 
हमें पीछे छोड़ गया 
उम्र खिसक गई 
हंसकर बोली
मैं नहीं बाद में आने वाली
मैं पीछे मुड़कर नहीं देखती
आगे बढ़ना है मुझे 
तुम्हारें बाद के चक्कर में 
मैं भी उलझ कर रह गई 
जो सोचा वह भी न हुआ 
अब बैठो और अफसोस करो 



No comments:

Post a Comment