आना और जाना है
नहीं यहाँ ठहरना है
जब तक हवा भरी है
तब तक फूला है
बाद में फुस्स हो जाना है
नहीं रह जाता कुछ भी
न साथ कुछ जाता
अकेले आया था
अकेले ही जाना है
यह वह जानता है
तब भी भीड़ का हिस्सा रहता है
जकड़ा रहता उलझनों में
ताउम्र सुलझाता रहता है
सुलझते सुलझते उलझ जाते हैं
फिर वही सब दोहराता है
एक दिन सब छोड़ चला जाता है
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