बरखा की कुछ मिट्टी को अंदर तक भिगा गई
उसका सीना चीर उसमें से हरियाली निकाल लाई
बंजर और शुष्क धरती भी ऊपजाऊ हो लहलहा उठी
उर्जावान- उर्वरक हो गई
लगी बांटने पूर्ण मन से
कठोरता को कोमलता पीछे छोड़ गई
उससे बाजी मार ले गई
पत्थर ने पानी पर निशान न छोड़ा
पानी ने ऐसा छोड़ा
हरदम याद रहे ऐसा
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