Sunday, 12 January 2025

हम धरती वाले

यह दौर अलग है
वह दौर भी ऐसा न था
जिंदगी तब दौड़ती न थी
कभी - कभी सुस्ताती भी थी
कुछ बातें कर लेती थी
कुछ कहकहे लगा लेती थी
दिल से भी काम लेती थी
भावनाओं को हिलोरे लेने देती थी
अपने मन का भी कर लेती थी
दूसरों का भी सुन लेती थी
सब मिल - बांट लेते थे
हर सुख- दुख - चिंता 
इस दौर में दिमाग,  दिल पर हावी है
बस मतलब से ही रिश्ता 
बोलने में औपचारिकता 
बोलना तो दूर हंसना भी सोच - समझकर 
हम कहाँ से चले 
कहाँ आ पहुंचे 
सही भी है 
जब चांद और मंगल पर पहुँच रहा है
फिर धरती वालों की कदर कैसे ??

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