लड़कपन बुद्धि
मां का स्वभाव था
लोगों की सहायता करना
भले कोई माने या न माने
मैं उसको गुस्सा करती रहती थी कि क्या समाज सेवा करती है कोई एहसान भी नहीं मानता
वह हंसकर कहती
अरे वह न समझे तो क्या
कोई दूसरा मेरे बच्चों की मदद करेंगा
यह बात सही भी साबित हुई
न जाने कितने अंजान लोगों ने मदद की है
सही है
कर भला तो हो भला
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