उन्होंने कुछ समझा
कोई समझने को तैयार नहीं
आखिर हार मान स्वयं चुप हो गई
सब समय पर छोड़ दिया
ऐसी भी स्थिति आती है
कभी-कभार निर्दोष भी दंड भुगतते हैं
वह गलती तुमने की ही नहीं फिर भी गलत ठहरना
क्या करें
बड़ी असमंजस की स्थिति
दूसरों से लड़ भी लें
अपनों का मुकाबला कैसे करें
बोल कर नाता तोड़े
मुख पर लगाम लगा कर रहें
मूकदर्शक बने रहें
शायद यही संसार है
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