Saturday, 1 February 2025

शक्ति का नाम ही नारी है

मैं औरत हूँ 
कोई खिलौना नहीं
बहुत खेल लिया मेरी भावनाओं से
न दोषी होते हुए भी मुझे दोषी ठहराया गया
अपनी गलतियों को छुपाने के लिए मुझ पर तोहमत लगाया गया 
मैंने तो जो भी किया मन से किया
हर रिश्ता बखूबी निभाया
मैंने बेटी का बहन का पत्नी का बहू का और मां का हर रोल निभाया अपनी सामर्थ्य भर
मैं कभी किसी पर बोझ न बनना चाहा
न कभी अपनी ख्वाहिश और इच्छानुसार कुछ किसी से मांगा
अपने ही दायरे में सिमटी रही
अपना काम करती रही 
जो मुझसे हो सकता था वह समर्पण और प्यार दिया
सबको ही मुझसे शिकायत 
अपने गिरेबान में कोई झांकता नहीं
कुछ भी हो मुझ पर ही ऊंगली उठी
कुछ नहीं तो कोई मेरी आवाज को लेकर तो कोई मेरा मुंह देखकर 
बोलना भी मुश्किल न बोलना भी मुश्किल 
ऐसे लगता है सब दूध के धुले हैं
सब परिपूर्ण है 
उनकी हर बात सही
हर क्रियाकलाप सही
बाहर वालों से तो बचा जा सकता है
अपने कहे जाने वालों से डर कर रहना
बोलते समय भी सोचकर बोलना
पता नहीं किस बात पर किस को बुरा लग जाए 
बहुत प्यार करते हैं बहुत मानते हैं 
जो अपना होता है वह एहसान नहीं जताता
हर बात पर नीचा नहीं दिखाता
हर बात में कमी नहीं निकालता
उसके मन और घर के दरवाजे बंद नहीं होते
जुड़ाव रहें तो कोई कारण नहीं अलगाव का
अलगाव के लिए तो एक क्षुद्र कारण भी काफी है

औरत ताउम्र सहती है 
तभी लोगों ने उसे यशोधरा और राधा बना डाला 
उसको तो उसी समय सिद्धार्थ को घसीट लाना था तब देखते वह कैसे महात्मा बनते 
सब गए उनसे मिलने और दर्शन करने भगवान जो बने थे वह नहीं गई 
पूछने पर कहा कि उस भिक्षुक का दर्शन करने क्यों जाऊ 
बुद्ध को आना पड़ा उसके द्वार पर 
राधा तो स्वाभिमानी थी अढ़ाई कोस की दूरी पर ही थी मथुरा 
गई नहीं कभी मिलने और कृष्ण की भी हिम्मत नहीं हुई तभी तो जीवन भर मथुरा से हस्तिनापुर का चक्कर लगाते रहें क्योंकि गोकुल बीच में पड़ता था
रही बात मीरा की तो प्रेम मीरा ने किया था कृष्ण ने नहीं
राजमहल का सुख और ऐश्वर्य तथा राजा पति को छोड़ संतों संग बिना समाज की परवाह किए कृष्ण धुन गाती रही
कृष्ण जैसा नहीं बनी जो जिंदगी भर राधा को रोने के लिए छोड़ गए थे 
जहर दिया गया ।विष का प्याला पिया पर उनको नहीं छोड़ा
औरत प्रेम करती है तो भरपूर 
तिरस्कार करती है तो मुड़कर नहीं देखती
वह किसको छोड़कर नहीं जाती 
लेकिन अगर गई तो वापस नहीं आती 
वह मजबूर होती है प्यार में अपनों से 
जिस दिन वह इनसे विरक्त हो जाए तो फिर वह कुछ भी कर सकती है
उसको अपनी शक्ति पता चल जाए तो वह क्या नहीं कर सकती
मर्द भागता है औरत जिम्मेदारी से नहीं भागती 
आज की नारी यशोधरा नहीं यशोदा बेन है जिसका पति प्रधानमंत्री मोदी हैं फिर भी वह सिक्युरिटी नहीं लेना चाहती और अपना जीवनयापन अपने बल पर भाई के घर रहकर कर रही है
आज की नारी इंदिरा है जिसे गूंगी गुड़िया कहा जाता था उसने दुनिया के नक्शे को बदल डाला 
इतने पुरुष प्रधान मंत्रियों पर एक औरत प्रधान मंत्री भारी है 
वह मां होती है 
इसलिए वह शक्तिमान और मजबूर दोनों होती है 
लोग उसको  Take for granted  लेते हैं
अब वह समय आ गया है 
वह अपने अधिकार और स्वाभिमान के प्रति सतर्क है
अब उसे बांधना इतना आसान नहीं
वह आत्मनिर्भर है 
जो पूरा घर चलाता हो उसको चलाना अब आसान नहीं 
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
आंचल में दूध और आँखों में पानी
  वह दिन गए 
अब तो है 
कोमल है हम कमजोर नहीं
शक्ति का नाम ही नारी है 
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का कथन है
मर्द अपने को नहीं मिटाता औरत से ही इसकी अपेक्षा करता है , कारण कि मर्द में इतनी सामर्थ्य ही नहीं है कि वह अपने को मिटा सके क्योंकि वह स्वयं मिट जाएगा 

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