तुम्हारें लिए सबको छोड़ा
तुम्हें अपने से ऊपर रखा
तुम्हारी हर जरूरत का ख्याल रखा
तुमको पलकों पर बिठाकर रखा
तुमसे खूबसूरत मुझे कुछ नहीं लगा
तुमने मुझे नहीं समझा
मुझे छोड़कर जाते वक्त जरा भी नहीं सोचा
मेरी सारी दुनिया तुम
तुम्हारी दुनिया में कोई और
मैंने सबको छोड़ा
तुमने तो मुझे ही छोड़ दिया
मुझे कहीं का न रखा
बस रोते ही रह गया
तुम्हारी हंसी के पीछे मैंने सब वार दिया
मेरे ऑसू भी तुम्हें पिघला न सके
इतना कठोर कैसे हो गई
जज्बात की कोई जगह नहीं
मैं समझा कि तुममें कौमल दिल का वास है
तुमने तो पत्थर को भी मात दे दिया
वह भी कोमल जल से अपने में छेद कर लेता है
तुम्हारें दिल में जरा भी जगह न बनी
कैसा दिल है
लगता है तुम भावना से परे
बस स्वार्थ से भरे
दिल बिना व्यक्ति
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