Friday, 28 February 2025

वह तो नारी है

उसने समझा 
मैं घर की मालकिन 
सच तो यह 
वह घर काम करने वाली नौकरानी 
उसे लगा 
घर उसके इशारों पर चलता है 
सच तो यह
वह किसी के इशारों पर चलती है 
उसे लगा 
सब उसकी मुठ्ठी में 
सच तो यह
हर बार उसकी मुठ्ठी से कुछ न कुछ फिसल जाता है 
उसे लगा 
वह सबके दिलों पर राज करती है 
सच तो यह
उसके लिए किसी के दिल में स्थान ही नहीं 
उसे लगा 
घर उसका है 
सच तो यह
घर की नेमप्लेट पर भी उसका नाम नहीं 
उसे लगा 
वह अपनी मर्जी की मालिक 
सच तो यह
वह बिना परमिशन के घर से बाहर कदम नहीं निकाल सकती 
ऐसे न जाने कितने बंधन में बंधी यह नारी 
फिर भी उसने कभी हार न मानी 
वह कुछ न छोड़ सकी 
तभी तो बुद्ध न बन सकी 
उसने प्रेम किया और त्यागी गई 
उसने अपना हक मांगा निकाली गई 
वह बस त्याग और करूणा की मूर्ति बनी रही 
कभी माॅ कभी बहन कभी प्रेयसी कभी पत्नी 
अधिकार दिया नहीं जबरदस्ती थोपा
उसने सब कुछ सहा 
गलत को भी सही माना 
ऐसा नहीं कि उसको अपनी ताकत का अंदाजा नहीं 
जब - जब वह कुपित हुई 
तब - तब रामायण और महाभारत हुआ 
पूरे समाज का विध्वंस हुआ 
यही तो वह नहीं चाहती 
तभी तो सदियों से सब स्वीकारती 
वह धरती है 
समाज की धुरी है 
उसके बिना तो हर कहानी अधूरी है 
वह तो नारी है 

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