बागों में फूल यू ही नही खिलते
पेड़ पर पत्ते यू ही नहीं झूमते
उनको भी पतझर का सामना करना पड़ता है
उस दौर से गुजरना पड़ता है
जहाँ फिर से नयी शुरुआत करनी होती है
तब हमने कैसे समझ लिया
अपने आप सब अच्छा होगा
भाग्य सब दे देंगा
संघर्ष बिना तो कुछ हासिल नहीं
उन कठिन राहों से तो गुजरना होगा
कभी टूटना कभी बिखरना होगा
स्वयं को समेटना होगा
गिर गिरकर उठना होगा
जीवन संग्राम है
युद्ध तो लड़ना होगा
कभी हार कभी जीत का सामना करना होगा
बिना पतझर के तो वसंत भी नहीं आता
बिना संघर्ष के शिखर पर कैसे पहुंचा जा सकता है
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