Thursday, 20 March 2025

आजकल के रिश्तें

रिश्ता अब पहले जैसा नहीं
न उनमें वह मिठास 
आज अपनों में प्रेम नहीं दिखता 
दूरी बन रही है 
बेगानों से नजदीकी हो रही है 
वह प्रेम कहाँ गया ??
क्या दिल , दिल नहीं रहा 
आदमी मशीन रह गया है 
पशु तो नहीं कह सकते 
प्रेम तो उनमें भी होता है 
वह भी झुंड में रहते हैं 
अब दिल तो है पर उसमें दिमाग बस गया है 
वह लाभ- हानि देख रहा है 
इनसे जुड़ने में कुछ लाभ है या नहीं 
बड़ों - छोटों का आत्मीय संबंध विलुप्त 
हैसियत के अनुसार आंका जा रहा है 
छोटी - छोटी बातों को बड़ा बनाकर पेश करना 
कुछ न कुछ कारण या बहाना बना दूरी 
खुशी में न खुशी न दुख में दुखी 
अपने ही होकर मजाक बनाना 
ये तो अपने ही हैं क्या कर लेंगे 
इतना भी मत करो कि फिर नजदीक न आ सको 
अपनों को पहचानो 
उनके दिल में झांको 
दिल में जो प्यार का झरना सुसुप्त है 
उसमें रस भरो 

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