Thursday, 20 March 2025

मैं गौरेया

मैं आपकी वही छोटी सी गौरैया हूँ 
जो ची ची कर आपके घर को गुलजार रखे रहती हूँ 
मुझे आपसे शिकायत है 
अब आप अपने घर में मुझे रहने नहीं देते 
मिट्टी का घर छोड़कर ईंट - गारे का घर बना लिया 
गगनचुंबी ईमारतें खड़ी कर दी 
मेरा ख्याल नहीं किया 
पेड़ को भी तो काट डाला 
वह भी तो नहीं बचा 
बस आप अपना सोच रहें 
हम भी आपका परिवार हैं 
हमारे बारें में भी सोचा होता 
अपने घर में एक कोना हमारे लिए भी रखा होता 
पर आपने ऐसा नहीं किया 
पहले मैं आपको जगाती थी 
अब अलार्म घड़ी जगाती है 
आप अपने लोगों से दूर 
मशीन के नजदीक हो गए हैं
मन भी वैसा ही हो गया है 
पहले मेरा भी ख्याल रखा जाता था 
दाना - पानी रखा जाता था 
अब तो आप अपनी ही सोच रहें 
मेरा घर भी उजाड़ कर फेंक दे रहे हैं 
इसलिए मैं भी अब आपसे दूर- दूर जा रही हूँ 
जीना तो मुझे भी है 
अगर आपको मुझसे सच में प्रेम है 
तब मेरे लिए भी कुछ कीजिए 
मैं आपके साथ ही रहना चाहती हूँ 

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