Tuesday, 25 March 2025

सबका साथ

मैं जब - जब लिखती हूँ 
महसूस होता है 
मुझमें सब कुछ जिंदा है 
मेरी भावनाएं मेरे विचार 
लोगों से जुड़ाव महसूस होना 
दूर रहकर भी नजदीकी का एहसास 
अनदेखे लोगों से भी अपनापन 
लोगों का मुझे जानना और पहचानना 
प्रशंसा भी आलोचना भी 
अच्छा लगता है 
जीने में जोश आ जाता है 
लेखनी का धन्यवाद 
कलम चलती रही 
विचार आते रहे 
सबके बीच बांटती रहूं
हंसती - खिलखिलाती रहूं 
सबके साथ हिल मिल कर रहूं 
बस सबका साथ चाहिए 

No comments:

Post a Comment