न जाने कितने मेडल अपने नाम किया था
उसकी इस कामयाबी के पीछे पिता का हाथ होगा जिन्होंने प्रोत्साहित किया होगा
पैसे खर्च किए होगे
उसी पिता ने उस बेटी की गोली मारकर जान ले ली
आखिर कारण क्या ??
बेटियां गर्भ में ही मार डाली जाती है जाती थी अब बच जा रही है तो कभी बलात्कार या फिर समाज के ताने से मर रही है । बेटी अपने पिता के घर भी चैन से नहीं रह सकती है
अगर अच्छा ससुराल नहीं मिला तो मायके में भी यह समाज चैन से नहीं रहने देता
आत्मनिर्भर हो लेकिन अनब्याही हो तब भी प्राब्लम
जिंदा में भी मरने के बाद भी
चैन से माता - पिता नहीं रह सकते
समाज का क्या
किसी को भी तोहमत लगा देना
ताना मारने में सबसे आगे
सब मजाक लगता है
राधिका के पिता से ज्यादा दोषी तो यह समाज है
बेटी की कमाई खाने का ताना देना
सबके पास मजबूत दिल नहीं होता
अभी दोष दे रहे हैं
जीते जी जीने नहीं दिया मरने पर सहानुभूति
कुछ भी बोलो
हंसो ताना मारो
अपनी औकात भले कौड़ी की न हो
यह केवल कम पढ़े - लिखे की बात नहीं
पढ़े - लिखे चार कदम आगे
किसी की दुखती रग को छेड़ने में मजा आता है
किसी की तरक्की देखी नहीं जाती
कभी कैरेक्टर पर कीचड़ उछालकर
कभी मनगढ़ंत कहानी बनाकर
कहने को सभ्य लेकिन असभ्यता में पशु को भी पीछे छोड़ दें
घिन आती है लेकिन रहना भी इन्हीं के साथ है
क्या करें अकेले भी तो रह नहीं सकते
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