मिलते - जुलते हैं
सबको साथ लेकर चलना
सबके साथ होना
वह होता है परिवार
अच्छा परिवार
हर व्यक्ति का महत्व
सबको अहमियत
प्यार, अपनापन, भरोसेपन पर टिका
अचार भी स्वादिष्ट
बहुत सारे मसालों और तेल के साथ
भोजन का स्वाद बढ़ाता
हमेशा जरूरत चाहे कोई सा भी भोजन
कई बार परिवार के चक्कर में
इंसान बन जाता अचार
जब चाहे जैसा इस्तेमाल कर लो
स्वादिष्ट तो लगता है
न रहे तब भी चलेगा
जरुरी तो है जरूरत नहीं
अचार को कोई फर्क नहीं
इंसान को पड़ता है
भावनाओ में बंधा प्राणी
अनदेखा करने पर चोट लगती है
अचार नहीं है न कि मन नहीं कर रहा तो छोड़ दो
यहाँ तो वह उपेक्षित महसूस करता है
अपेक्षा रहती है अपने उस परिवार से
अचार को साल भर संभाल कर रखना पड़ता है
नहीं तो खराब हो जाएगा
परिवार को ताउम्र संभालना पड़ता है
तभी टिकेगा
वर्ना छिन्न भिन्न होने में देर नहीं लगती
परिवार में न अचार बनना है न बनाना है किसी को
अपने आचार और आचरण को बहुत सोच समझकर रहना है
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