खूब उपद्रव मचाया
आंधी-तूफान से सब तहस - नहस
रात भर यह क्रम जारी रहा
सुबह होते ही सब थमा
कब तक मचाता
आखिर थक - हार बैठ गया
गिरी हुई लता टूटी हुई डालियाँ
उखड़े हुए पेड़
सब तबाही का प्रमाण देते
अब यह सब सामान्य होने में क्या कुछ लगेगा
वक्त से सब ठीक हो जाएगा
परिस्थितियाँ पूर्व वत हो जाएगी
उसका मूल्य भी तो चुकाना पड़ेगा
यह सब इतना आसान नहीं होगा
No comments:
Post a Comment