आज तक समझ नहीं आया
मैं भारतीय हूँ
मैं हिन्दू हूँ
मैं क्षत्रिय हूँ
क्षत्रिय में भी कौन सा गोत्र और ठाकुर
मेरी भाषा क्या ??
मेरा प्रदेश कौन सा ?
मैं कहाँ रहती हूँ
शहर में या गांव में
महानगर या छोटे शहर में
अमीर हूँ या गरीब
हमारी समाज में कैसी हैसियत
न मैं मराठी हूँ क्योंकि वे मुझे अपना नहीं मानते
मूल निवासी कहीं के हैं भले ही चार पीढ़ी से रहते हो
उत्तर प्रदेश भी अपना नहीं मानता
अरे आप तो मुंबई वाले हैं
मैं मराठी भी अच्छी बोलती हूँ
हिन्दी की तो बात ही क्या
भोजपुरी मुझे ज्यादा आती नहीं
आप यू पी की लगती नहीं हैं क्योंकि मैं बिना भोजपुरी के पुट के हिंदी बोलती हूँ
साफ उच्चारण
मराठी इतके छान बोलता फिर भी मैं मराठी नहीं
न मैं महाराष्ट्र की न उत्तर प्रदेश की
तब मैं हूँ कौन ??
मेरी पहचान क्या ??
एक अच्छा व्यक्ति नहीं देखते यहाँ
मापदंडों में तौलते हैं
मैं और हम सर्वश्रेष्ठ बाकी सब बेकार
यह मानसिकता लोगों की
ऐसे देखना और बोलना जैसे कोई जुर्म किया हो
मैं ही मैं में देखना छोड़कर हम में देखना शुरु हो
भारत का कण - कण आदरणीय है
यहाँ की हर भाषा सम्मानीय होनी चाहिए
हर प्रांत का इतिहास है
हर लोग का योगदान है
हर संस्कृति और रीति-रिवाज का अपना स्थान
वेशभूषा और खान पान का भी महत्व
विविधता में एकता
जो हमारे देश को सुंदर बनाता है
किसी में कमियां निकालने के पहले अपनी ओर भी देंखे
तब पता चलेगा कि कौन क्या है
No comments:
Post a Comment