हवा भी संग संग चलती रही
कभी धीमी कभी तेज
कभी अनुकूल कभी प्रतिकूल
कभी-कभार धीमे से सहलाती
सुंगध से सराबोर कर देती
कभी जोरदार थपेड़ा मारती
मैं थक हार कर बैठ जाता
कुछ वक्त बाद फिर उठ जाता
उसके साथ- साथ चल देता
हार मैंने मानी नहीं
वह भी रूकी नहीं
अपनी गति से चलती रही
हममें होड़ लगी थी मानो
न मुझे हार माननी थी
न वह रूकने वाली थी
आखिर साथ- साथ चलते हम दोनों में दोस्ती हो गई
वह अपनी धुन में मैं अपनी धुन में
यह सिलसिला जारी है
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