उससे मैंने बहुत कुछ कहा
उसने भी बहुत कुछ सुनाया
मुझे अच्छा नहीं लगा
वह तो मुझे दोष देती रही
कहा कि कभी अपना ख्याल नहीं रखा
हमेशा मुझे उलझनों में उलझाये रखा
न खुद चैन से जीया न मुझे जीने दिया
कितना मुझे परेशान करोगी
मैं जोर से खिलखिलाई
तुम्हें जो चीजें परेशान करती है
मुझे सुकून देती है
मेरा जीने का अंदाज यही है
मुझे स्वतंत्रता प्यारी है
मन को बांधना मुझे भाता नहीं
अपनी शर्तों पर जीना
इससे ज्यादा नहीं कुछ चाहा
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