भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं
क्या करना है
क्या नहीं करना है
किस्मत तो लिखी जा चुकी है
सब निश्चित है
हाथ की रेखाएं जन्म के साथ ही आई है
हम क्या ही कर लेंगे
कितना हाथ- पांव मार लेंगे
प्रारब्ध का फल आज
आज का फल अगले जन्म
यह सिलसिला जारी रहता है
बस हम तो कर्म करने आए हैं
वह तो किए बिना कुछ संभव नहीं
तदबीर तो हमें बनाना है
तकदीर बनी हुई मिली है
तब चिंता क्यों
जो होना है वह होगा ही
होइहै वही जो राम रचि राखा
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