Wednesday, 30 July 2025

होना है जो

कितना हम डरते हैं 
भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं 
क्या करना है 
क्या नहीं करना है 
किस्मत तो लिखी जा चुकी है 
सब निश्चित है 
हाथ की रेखाएं जन्म के साथ ही आई है 
हम क्या ही कर लेंगे 
कितना हाथ- पांव मार लेंगे 
प्रारब्ध का फल आज 
आज का फल अगले जन्म 
यह सिलसिला जारी रहता है 
बस हम तो कर्म करने आए हैं 
वह तो किए बिना कुछ संभव नहीं 
तदबीर तो हमें बनाना है 
तकदीर बनी हुई मिली है 
तब चिंता क्यों 
जो होना है वह होगा ही 
होइहै वही जो राम रचि राखा 

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