मेरी जिंदगी मे ही ऐसा क्यों है
हमेशा मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है
ऐसी शिकायत गाहे - बगाहे रही है
आज अचानक मन में आया
ईश्वर ने मुझे दिया क्या है यह सोचा
पता चला कि
उन्होंने मुझे क्या कुछ नहीं दिया है
सब कुछ तो दिया है
मैं जिस लायक हूँ उससे कहीं कुछ ज्यादा
चारों तरफ नजर उठाकर देखा
चिंतन-मनन किया
ऐसा लगा मुझसा कोई नहीं
न जाने कितनी दुर्घटनाओं से बचाया है
नहीं तो आज मैं जहाँ हूँ
जैसे हूं रह नहीं पाती
कर्म, प्रारब्ध भी तो कुछ है
वह भी तो साथ चलता है
मन में प्रश्न आना स्वाभाविक है
आज तक रोना आता था
आज अचानक हंसी आ गई
कितना कुछ दिया
जिंदगी हर मोड़ पर आसान बनाया
मुश्किल काम हल हो गए
शुक्रिया तो बनता है
हाथ जोड़कर प्रार्थना
ऐसी ही कृपा बनाए रखना
ऐसा नहीं है कि अब शिकायत नहीं होगी
ओ तो होता ही रहेगा
हक बनता है हमारा
तुम्हीं तो सर्वस्व तो फिर कहना भी तो तुमसे ही
No comments:
Post a Comment