Saturday, 26 July 2025

बाबा जैसी सोच

इक्का - दुक्का घटना होने पर सभी को एक ही जगह खड़ा कर देना 
वह भी एक कथावाचक और महात्मा कहे जाने वाले व्यक्ति द्वारा 
समाज में बदलाव हो रहा है उसे स्वीकार करना ही पड़ेगा 
सती - सावित्री से ऊपर उठना पड़ेगा 
विकास करना है विश्व को साथ लेकर चलना है तो महिलाओं 
के प्रति धारणा बदलना पड़ेगा 
वह दासी नहीं सहचरी है 
हमारे समान व्यक्ति है 
उसमें भी कमजोरियां होगी 
उसमें योग्यता भी है 
उसके योगदान बिना तो समाज ऊपर उठ ही नहीं सकता 
उसको कैरेक्टर का सर्टिफिकेट देने वाले ये तथाकथित चंद लोग कौन होते हैं 
समाज कौन होता है 
सबके घर में बहन - बेटियां हैं 
ऐसी मानसिकता हो तो शिक्षा से वंचित और बालविवाह ही एक विकल्प 
सदियों से सताई और दबाई गई वह
अब जब आगे बढ़ रही है 
सफलता का परचम फहरा रही है 
तब लोगों को रास नहीं आ रहा है 
अब विद्रोहिणी हो रही है 
अपनी मर्जी से जीना चाह रही है 
यह किसी एक बाबा जी की बात नहीं 
समाज के हर कोने में ऐसे बाबा मिल जाएंगे 
कब सोच बदलेगी ???

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