बस भक्ति मांगों
किसी के हाथ में कुछ नहीं
चिंता कर क्या कर लोगे
लोगों के आगे झुक कर क्या हो जाएगा
भक्ति भी शायद सबके भाग्य में नहीं
उसकी कृपा हो तब ही
जिंदगी को समझते समझते
अब समझ आया
जिस पर उसकी कृपा हो
उसी का जीवन सार्थक है
सौंप दो उन पर सब
जो करना हो करें
वैसे भी तुम हो क्या
तुम्हारा अस्तित्व ही क्या
शून्य भी नहीं
थक गए सोचते- सोचते
हार गए प्रयास करते- करते
सांस की डोर उसके हाथ में
न हम रावण है न हिरण्याक्श्यप
सर काट कर चढ़ा भी नहीं सकते
न भक्ति की ताकत न सामर्थ्य
एक दिन तो भूखा रहा नहीं जाता
क्षण भर भी विचार पर नियंत्रण नहीं
मन स्वयं के वश में नहीं
बस एक ही रास्ता है समर्पण
छोड़ो सब
वैसे भी तुम्हारा क्या है
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