Monday, 15 September 2025

ईश्वर की शरण

मजबूरी का नाम महात्मा गांधी 
अंगूर न मिले तो खट्टे 
ये सिर्फ कहावत नहीं जीवन दर्शन है 
क्या करें 
रोते - बिसूरते रहे 
जीवन को दुखी बना दें
सबमें सामर्थ्य नहीं 
सबका भाग्य भी नहीं
जो है पास में 
उसी में खुशी ढूंढ लिया जाए 
संतुष्ट हो लिया जाए 
सबको इस जहां में सब कुछ नहीं मिलता 
कहीं जमीं तो कहीं आकाश नहीं मिलता 
हमारे हाथ में प्रयास करना है 
वह जी भर करें
सपने देखना बुरा नहीं है 
उसे साकार भी करना है 
फिर भी 
क्योंकि 
परंतु 
आड़े आ ही जाता है 
तब एक ही बात सही 
ईश्वर जो करता है वह अच्छा ही करता है 
हम नहीं जानते 
हमारे लिए क्या अच्छा
वह जानता है 
छोड़कर उसकी शरण लें 
आप अपना कर्म करें 
वह अपना आशीष देंगा 

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