वह पूरा हुआ या आधा
चले तो सही
सबकी अपनी कहानी
कोई पहुंचा बुलंदी पर
कोई मझधार में ही अटका रहा
उपस्थिति तो दर्ज करायी
सबका सफर आसान नहीं होता
अड़चने भी रोकती है राह
गिरते - पड़ते चलते तो रहे
हर किसी के वश की तो बात नहीं
हम शून्य नही है
क्या हुआ जो चाहा वह नहीं हुआ
कुछ तो हुआ ना
No comments:
Post a Comment