Friday, 19 September 2025

सफर

सफर तो सफर है 
वह पूरा हुआ या आधा 
चले तो सही 
सबकी अपनी कहानी 
कोई पहुंचा बुलंदी पर
कोई मझधार में ही अटका रहा 
उपस्थिति तो दर्ज करायी 
सबका सफर आसान नहीं होता 
अड़चने भी रोकती है राह
गिरते - पड़ते चलते तो रहे
हर किसी के वश की तो बात नहीं 
हम शून्य नही है 
क्या हुआ जो चाहा वह नहीं हुआ 
कुछ तो हुआ ना 

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