Sunday, 7 September 2025

राधे - राधे

सारा ब्रह्मांड मुझे तकता है राधा 
मैं तो केवल तुम्हें तकता हूँ 
तुम्हारे बिना तो मैं पूरा क्या आधा भी नहीं
तुम तो मेरे मन मंदिर में बसी 
तुम्हारें बिना तो कान्हा का जीवन रहा अधूरा 
संसार के स्वामी की स्वामिनी प्रिया 
बस हमेशा दिल में जलाएं रखना प्रेम का दिया
मैं तो चक्कर लगाता रहा 
तुम तो गोकुल में बैठी रही
वहीं से देखती रही 
मैं क्या इतना मजबूर 
आ न सका कभी फिर तुम्हारें समक्ष 
ईश्वर बना प्रियतमा को छोड़
कर्म का संदेश 
धर्म का निर्वाह 
सब कुछ करता रहा 
सामर्थ्य शाली था 
बस एक मलाल रह गया 
अपनी राधा को रानी न बना सका 
दिल में रखा साबित न कर सका 
तुम तो ज्यादा मजबूत 
तभी तो सबको अपने प्रेम के आगे किया नतमस्तक 
कथा मेरी और नाम अंत में तुम्हारा लिया जाता 
राधे राधे राधे राधे 

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