Sunday, 19 October 2025

दिल रहे सलामत

अपनी हसरतों को दरकिनार करता रहा 
सबका ख्याल रखता रहा 
उसका क्या सिला मिला 
टूटता रहा बिखरता रहा 
दूसरों को समेटता रहा 
दिल को मजबूत करता रहा 
अंदर भले उसके टुकड़े होते रहे 
बाहर से सहेजता रहा 
सबको एकजुट करता रहा 
एक दिन अचानक जोर की आवाज आई 
यहाँ- वहाँ देखा 
कोई नहीं था 
लगा अपने अंदर की आवाज थी 
दिल चकनाचूर था 
कहने लगा 
अब मैं तुम्हारें साथ नहीं रह सकता 
दूसरों के संभालने के चक्कर में मुझे भूल गए 
मैं हकबका गया 
कहने लगा 
मत जाओ 
अब बस तुम्हारा ही ख्याल रखूंगा 
दुनिया जाएं भाड़ में 
जब दिल सलामत तो सब सलामत 

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