Sunday, 19 October 2025

जीवन गाड़ी

क्या भूले क्या याद करें
अच्छी बातें याद करते हैं 
थोड़ा प्रसन्न होने लगते हैं
आगे बढ़ते ही कड़वी बात याद आने लगती है 
मन्न खिन्न हो जाता है 
पूरा दिन खराब हो जाता है 
किसको याद करें 
व्यक्ति को घटना को 
कुछ न कुछ कमी जरूर है 
कुछ अच्छी कुछ बुरी 
अब क्या करें 
याद पर तो वश नहीं है 
अच्छी ही याद रहे
अब सोच लिया है 
याद न किया जाए 
तो ही बेहतर 
अच्छाई पर बुराई भारी 
पूर्ण तो यहाँ कोई नहीं 
हम भी तो नहीं 
यह सिलसिला चलता रहेगा 
जब तक जीवन है 
कभी उबड़ खाबड़ 
कभी समतल 
कभी शांत कभी पौं पौं 
कभी सरपट दौड़ती 
कभी रुक - रुक कर चलती 
कभी ट्रेफिक का जाम 
कभी दुर्घटना तो कभी टक्कर 
कभी बरसात तो कभी तूफान 
पहुंच ही जाती है यह जीवन गाड़ी 
जहाँ जिसको जाना है 
रास्ता न मिले तो बदल लेती है 
चलना नहीं छोड़ती 

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