Monday, 27 October 2025

दिमाग में कूड़ा

किसी ने दीपावली में घर का कूड़ा एक जगह रख दिया 
फिर क्या 
देखते देखते कूड़े का पहाड़ बन चुका था 
सबको वही जगह दिखने लगी 
ऐसा ही जीवन में भी होता है 
किसी एक ने तुममें कमी देखी 
तब हर कोई तुममें कमियां निकालते रहता है 
चाहे वह अपने लाख बुरा हो 
यही फितरत है 
टूटे हुए को और तोड़ना 
कुरेद कुरेद कर निकालना 
पता नहीं क्या मिलता है 
मजा आता होगा शायद 
अपने में झांक कर देखा नहीं होगा 
बुरा जो देखा मैं चला 
      मुझसे बुरा न कोई
समाज है ना 
कुछ तो दिमाग में डालना है 
चाहे वह कूड़ा ही क्यों न हो 
कूड़ा भर लेंगे 
फिर उसकी गंदगी यहाँ- वहाँ फैलाते रहेंगे 
चुगली - निंदा करते रहेंगे 
आप जो नहीं जानते हैं अपने बारे में 
वह भी वे जानते होंगे 
बहती गंगा में हाथ धोने वाले भी बहुतेरे 
चलो हम भी कुछ जोड़ देते हैं 
साथ में हंस भी लेते हैं

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