भारत माता की जय पर विवाद क्यों?

आजकल एक विवाद ने जोर पकड लिया है और वह है भारत माता के जय के संदर्भ में
मुझे याद है कि बचपन में जब कोई मुझे पैर पडने के लिए कहता था तो मुझे अच्छा नहीं लगता था पर यह बात नहीं थी कि सम्मान की भावना नहीं थी
विवाह होने के बाद ससुराल में जबरदस्ती मन मारकर बडो का पैर पडने का काम करना पडता था
वह मैं अनिच्छा से करती थी ,अपने माता - पिता का तो मैंने कभी पडा नहीं पर उनके समान दुनियॉ में कोई नहीं मेरे लिए
तो यह कुछ ऐसी चीजें जिन्हें सम्मान और असम्मान की दृष्टि से देखा जाना उचित नहीं है
अगर एक समुदाय के कुछ लोग भारत माता की जय नहीं बोलना चाहते तो केवल इसी कारण उनकी राष्ट्र भक्ति पर संदेह किया जाय
यह हमारी इच्छा है किसी पर थोपने की जरूरत नहीं है
जावेद अख्तर का कहना कि यह मेरा केवल कर्तव्य ही नहीं अधिकार भी है ठीक है
पर कुछ ऐसा नहीं मानते
शकुन्तला और दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम पर भारत नाम पडा है हमारे देश का
हिन्दूस्तान या जयहिंद अगर बोला जाय और भारतमाता की जय न बोला जाय उससे क्या फर्क पडता है
टी वी चैनलो पर आजकल यह विषय चर्चा का बना हुआ है और एक - दो लोग जय न बोलने पर लोगों के गुस्से के शिकार भी हुए हैं
इतनी सारी समस्या है देश के समक्ष और उसको छोडकर इस बात के पीछे लोग पडे हैं
डॉ नारंग की हत्या एक छोटी सी बात से हो जाती है पर किसी का मुँह नहीं खुलता
और जहॉ माहौल बिगाडना हो तो घटना को बढा- चढा कर और समस्या खडी कर दी जाती है
किसी को देश छोडने की सलाह देने वाले दूसरे कौन होते   है?
अपने - अपने गिरेबान में झॉककर देखे तो पता चलेगा कौन कितना बडा देशभक्त है
भ्रष्टाचार कर देश को लूटते रहे और अपने आप को देशभक्त बताते रहे
देश में आंतक का साम्राज्य फैलाए और एक - दूसरे को लडाए और देशभक्त बने रहे
यह बात तो नफरत फैलाने वाली है इसका आने वाली नस्लों पर बुरा प्रभाव पडेगा  और उनको संदेह से देखा जाएगा
अगर कोई नहीं चाहता तो मत बोले पर जबरदस्ती करना उचित नहीं है
बात कोई बडी नहीं है पर अगर कोई जिद पर अडा है कि नहीं बोलेंगे जय तो जाने दे
सौहाद्र की भावना बनाये रखना सबका कर्तव्य है

Monday, 28 March 2016

पोप फ्रान्सिस आज के युग दहशतवाद में लोगों को मानवीयता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए

कोई भी महान व्यक्ति का बडा या छोटे से छोटा कार्य प्रेरणा देनेवाला माना जाता है
रोमन कँथालिक चर्च के पोप फ्रांसिस ने मुस्लिम तथा दूसरे लोगों का पैर धोकर तथा चुंबन लेकर यह संदेश दिया कि सभी एक ही परम पिता की संतान है
यह और भी महत्तवपूर्ण हो जाता है जब पूरा संसार आंतकवाद से त्रस्त है
भारत के साथ-साथ विश्व भर में यह समस्या व्याप्त है
छोटी सी घटना को बडा रूप देकर धार्मिक उन्माद कायम कर दिया जाता है और लोग अपने फायदे की रोटियॉ सेकते हैं
आज पूरा विश्व विनाश के कगार पर बैठा हुआ है
हर धर्म शॉति और भाईचारे का संदेश देता है
लेकिन मानवीयता की सबसे ज्यादा हत्या धर्म के नाम पर ही होती है
ईतिहास गवाह है कि धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा जाने गई है और जा रही है
किसी एक धर्म के लोगों को तो विश्व भर में संदेह की नजर से देखा जा रहा है जो उचित नहीं है
पोप की महत्ता और बढ जाती है क्योंकि उन्होंने यह कार्य उस समय किया ब्रसेल्स की घटना के बाद यूरोप में मुस्लिम विरोधी भावना बढ रही है
अगर पोप फ्रांसिस का अनुकरण और भी धर्म गुरू करें तो शॉति कायम रहेगी न कि विवादास्पद बयानबाजी करने से जो आजकल सामान्य हो गया है
विश्व में शॉति स्थापित करना हर किसी की जिम्मेदारी है न कि मानवता की हत्या करना

Sunday, 27 March 2016

क्या १८ वर्ष होने पर माता- पिता को बच्चों की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहिए?

यह एक उच्च न्यायालय का आदेश है कि माता- पिता १८ वर्ष होने पर उसकी जवाबदारी और जिम्मेदारी से मुक्त है और व्यक्ति स्वतंत्र है
उसे सारी आजादी है ,स्वावलंबी बने और अपनी जिंदगी खुद अपनी तरह से जीए
१८ वर्ष होने पर मतदान का अधिकार, ड्राइविंग लाइसेंस ,बैंक खाता औ ए टी एम का उपयोग यह तो हासिल हो जाता है
पर ध्यान रहे यह अमेरिका नहीं है यहॉ तो पच्चीस साल तक मॉ -बाप पर ही निर्भर रहता है ,यहॉ तक कि कभी- कभी तक उसकी पत्नी और बच्चे भी
वह क्या करेंगा ज्यादा से ज्यादा १२ वी पास होगा
उसके आगे का करिअर ,पढाई का खर्चा ,अन्न ,वस्र,आवास आरोग्य,शिक्षा, मनोरंजन सभी अभिभावकों की तरफ से पूर्ण की जाती है
हॉ ,गरीब तबके के बच्चे जरूर बचपन से ही काम करने लगते हैं
हॉ मध्यम वर्ग कोरकसट कर अपने बच्चों को सारी सुविधाएं देने में लगा रहता है
शहर के कुछ बच्चे पढाई के साथ कमाई करते हैं पर वह केवल उनके जेबखर्च तक ही सीमित रहता है
समाज को मजबूत और नई पीढी को तैयार करना है तो कैसे इससे मुक्त हो सकते हैं
उसे मार्गदर्शन की जरूरत भी है मतदान और ड्राइविंग से वह समझदार नहीं हो जाता
यह उमर भटकने की भी होती है
फिर यह अमेरिका नहीं है भारत है हमारी परिस्थिती अलग है
हम तो अपने बच्चों को आम जैसे भूसे के पाल में डाल कर पकाते हैं
वहॉ के बच्चे समय से पहले ही परिपक्व हो जाते हैं

Thursday, 24 March 2016

होली पर बोलो प्रेम की बोली--- हैपी होली

होली यह रंगों का त्योहार है ,खुशियों का त्योहार
बुराई पर अच्छाई का त्योहार
सारे गिले- शिकवे भूल कर एक- दूसरे को  गले लगाने का त्योहार
रंग से सराबोर त्योहार ,हर रंग का कुछ न कुछ संदेश
भगवान कृष्ण के साथ शिव का भी शृंगार
अमीर - गरीब सभी त्योहार
वंसत का आगमन और हरियाली तथा समृद्धि लाता
सभी की होली
क्या बच्चे क्या जवान क्या बूढे क्या महिलाएँ.
सारे भेदभाव से दूर
जातिगत भेदभाव को दूर करता
शत्रु को भी मित्र बनाने का त्योहार
तो आइए सभी प्रेम से बोले
                   हैपी  होली

Tuesday, 22 March 2016

रंग बरसे भीगे चुनरवाली --++-+++++-

यह गाना सुनकर झूमने लगते हैं लोग
पर क्या सच में यह उचित समय है जब पानी की समस्या हो और लोग बूंद -बूंद पानी के लिए तरस रहे हो , होली आ रही है ,रंग- गुलाल ,अबीर लगेंगे
साथ में जम कर पानी की भी बर्बादी होगी
सरकार और समाजसेवी संस्थाएं और कॉलेज के बच्चे मुहिम छेडे हैं और लोगों से बिना पानी होली मनाने के लिए अपील कर रहे हैं
कुछ को यह बात रास नहीं आ रही है
त्योहार है और मौज - मस्ती करना तो बनता ही है
समय के साथ चलना भी जरूरी है
पानी की किल्लत हो और पानी बहाया जाय
लकडी की कमी है और लकडी जलाया जाय
धुएं से वातावरण को प्रदुषित किया जाय
गुब्बारे में पानी भर कर मारा जाय
रासायनिक रंगों का उपयोग कर सेहत के साथ खिलवाड
बदलना जरूरी है अगर हम न बदलेंगे तो बहुत पछताना पडेगा
खुशी वह है जिसमें सब खुश रहे
कोई पानी पीने को तरसे और कोई पानी से खिलवाड करें
जल ही जीवन है और प्रकृति की इस धरोहर को किफायत से खर्च करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है

Monday, 21 March 2016

Who is poor? Worth reading. A wealthy woman goes to a saree store and tells the boy at the counter "Bhaiya show some cheap sarees. It is my son's marriage and I have to give to my maid." After sometime, the maid comes to the saree shop and tells the boy at the counter "Bhaiya show some expensive sarees. I want to gift my Mistress on her son's marriage" Poverty is in the mind or in the purse? Who is Rich? Once, a lady with her family was staying in a 3-star hotel for a picnic. She was the mother of a 6 month old baby. "Can I get 1 cup of milk?" asked the lady to the 3-star hotel manager. "Yes madam", he replied. "But it will cost 100 bucks". "No problem", said the lady. While driving back from hotel, the child was hungry again. They stopped at a road side tea stall and took milk from the tea vendor "How much?” she asked the tea vendor. "Madam, we don't charge money for kid's milk", the old man said with a smile. "Let me know if you need more for the journey". The lady took one more cup and left. She wondered, "Who’s richer? The hotel manager or the old tea vendor? Sometimes, in the race for more money, we forget that we are all humans. Let's help someone in need, without expecting something in return. It will make us feel better than what money can. Coffee never knew that it would taste so nice and sweet, before it met milk and sugar. We are good as individuals but become better when we meet and blend with the right people.... Stay connected. "The world is full of nice people... If you can't find one... Be one.

Monday, 14 March 2016

ईश्वर के नाम पर ठगी - सरकार इस पर कडे कदम उठाए

बहुत समय से इच्छा थी कि शिरडी के साईबाबा के दर्शन करने की और इस बार सौभाग्य से योजना बनी तो बहुत खुशी हुई
सोचा साथ- साथ आसपास जैसे शनि शिंगणापूर ,नाशिक ,त्रयंबकेश्वर का भी दर्शन कर लिया जाय
यात्रा पर निकले ,हर जगह कुछ न कुछ परेशानी का सामना हुआ जैसे दूकानों या फेरीवाले ,भिखारी और साधु के द्वारा
लेकिन शनि शिंगणापूर का अनुभव की तो कल्पना ही नहीं थी
हम जब करीब पहुँचे तो एक आदमी ने रास्ता रोका और एक रसीद दी और व्यक्ति के हिसाब से दो-दो रूपए लिए ,ग्राम पंचायत के नाम पर
आगे एक और मिला और एक रसीद गाडी के आगे लगा दी और हमारे आगे बाइक  लेकर चला
हमको गाडी पार्क करवाया फिर वहीं पर एक दूकान पर ले गया और कुछ चढावे का सामान देने लगा
हम नहीं ले रहे थे ,पैसे पूछने पर कहा कि जो मन में आए वह दे देना
साथ में एक बन्दा भी हो लिया ,तेल की दूकान से तेल खरिदवाया
उसके बाद अंदर मंदिर में गए ,दर्शन किया ,बाहर आए
अब पैसे देने की बारी आई ,तो१७५० +५००+५०० इतना मॉगने लगे
हम तो घबरा गए पर हिलहुज्जत कर २०० कम किया
हम वाद विवाद नहीं करना चाहते थे.
ऊपर से शनि भगवान का प्रकोप की धमकी देने लगा
पर ऐसे बेईमान और ठग लोग पर भगवान क्या कृपा करेंगे और वैसे भी शनि न्याय के देवता है
खैर अब असली मुद्दे पर आए ,जो महिलाएं अंदर जाने के लिए संघर्ष कर रही है ,वे तो शायद इनसे अंजान नहीं होगी
वैसे तो अंदर पुरूष भी नहीं जाते
इस बेईमानी के धंधे को रोकने के लिए महिला ब्रिगेड कुछ करेंगी या सरकार?  कमोबेश ज्यादातर हर जगह धर्म के नाम पर लूट हो रही है
और दो -चार लोग इन्हें मिल ही जाते हैं.
यह गोरखधंधा धडल्ले से फलफूल रहा है
इन माफियाओं का इन पर कब्जा है
और यह पुलिस और सरकार के नाक के नीचे
कब इस पर महाराष्ट्र सरकार और एक्टिविस्ट संज्ञान लेंगे

Tuesday, 8 March 2016

शक्ति का नाम ही नारी है Happy Woman's day

मैं एक बेटी ,बहन ,पत्नी और मॉ हूँ
पर इसके साथ- साथ एक व्यक्ति भी हूँ
हाड - मॉस की बनी जिसमें एक मन भी है
भावनाएं हैं ,आंकाक्षा है ,कुछ बनने की चाह है
मैं घर की धुरी हूँ, कुशल प्रशासक हूँ
घर और परिवार चलाना और संभालना इतना आसान नहीं
नई पीढी को रास्ता दिखाना
समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी भी मेरे ही कंधों पर
आदर्श स्थापित करना क्योंकि अगर मेरे पैर लडखडा गए तो सारा ढॉचा ही तहस- नहस
फिर भी मुझे अबला कहा जाता है
जननी और जीवनदायिनी को इतना कमजोर लेखना
बेटी को गर्भ में ही खत्म कर देना
इतना डर उसके जन्म को लेकर
बिना जिसके सृष्टि की कल्पना नहीं
उसी पर अत्याचार
कब तक यह मानसिकता चलेगी
बेटी चॉद पर पहुँची है ,बेटा देखता ही रह गया
बेटियॉ उडान भर रही है पर हम उन्हें जमीन पर ही देख रहे हैं
जहॉ पहुँच रही है वहॉ अपना परचम लहरा रही है
फिर भी उसकी मंजिल विवाह तक ही सीमित हो जाती है ,
यह हमारा और हमारे समाज का देखने का नजरियॉ है
कब तक बेटे के जन्म पर ढोल - तासे बजेंगे
और बेटी के जन्म पर मातम
अब तो जागा जाय
बेटी को बोझ नहीं शक्ति समझा जाय .

Saturday, 5 March 2016

कन्हैया का रातोरात नेता बन जाना- सही है?????

नाम हेै कन्हैया कुमार और जे एन यू के छात्र संघ के अध्यक्ष
पर ऐसा लगता है कि सच में कन्हैया यानि भगवान कृष्ण अवतरित हो गए है और यदा यदा सी वाला श्लोक कह रहे हो
कि हे अर्जुन जब- जब धर्म की हानि होती है ,मैं अवतरित होता हूँ
तो यह कन्हैया अचानक स्टार बन गए
हर टोलीविजिन चैनलों में छाये रहे
साक्षाक्तार होता रहा
मानों वे जेल से छूटकर नहीं बल्कि कोई बडा कार्य कर आए हो
अब भारत का विकास इनके ही हाथों होने वाला है
मोदी जी को रास्ता दिखा रहे हैं
यह जो हमारे नेता है उनको यहॉ तक पहुंचने में सालोसाल लग गए
उन्होंने जीवन के हर अनुभव को घुट्टी में घोलकर पिया है ,अपना योगदान दिया है
हम नागरिक होने के नाते उनसे अच्छे काम की अपेक्षा कर सकते हैं पर इस तरह
कन्हैया को शिक्षक बनना है पर वह शिक्षक नहीं राजनेता बनना चाहते हैं
जे एन यू में रहकर पी एच डी करना और छात्र राजनीति करना
क्या उनको मालूम है कि कितने शिक्षक ऐसे है जो पढाई करते  - करते और साथ में काम भी करते ,अपने परिवार को संभालते अपनी डिग्री हासिल की है
डी एड,बी एड, एम ए पी एच डी सब हासिल की है
इनकी माता जी ऑगनवाडी में काम करती है पर कितनी औरते हैं जिनको काम नहीं है
भाषण देना अलग बात है ,भाषण अच्छा था और प्रभावशाली भी था
मजा भी आया ,लोग खूब हँस भी रहे थे
व्यंग भी था मोदी जी पर और नेताओ पर
पर भाषण देना अलग बात है और काम करना अलग
हमारे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन जी को तो यह कला आती नहीं थी फिर भी उनकी काबिलियत को सब मानते थे
प्रधानमंत्री अकेले क्या करेंगे ,भ्रष्टाचार इतनी गहरी जडे जमा चुका है कि पूछो मत
कन्हैया कुमार तो गॉव से है और वह भी बिहार के बेगुसराय से
मालूम ही होगा कि एक प्रधानी का चुनाव लडने के लिए पैसा पानी की तरह शराब और मॉस पर बहाया जाता है
यह वास्तविकता है हर कोई खाने और अपना जेब भरना चाहता है
कन्हैया कुमार वहीं से क्योंनहीं अपने समाज बदलने के कार्य को शुरू करते ?
छात्र पढने के लिए है और विश्वविधालय राजनीति का अड्डा नहीं है
बाहर आए और कुछ सकरात्मक कार्य करें
भाषण तो बिहार का एक साधारण किसान भी दे देंगा प्रधानमंत्री का सम्मान करें
अगर देश का सम्मान करते हैं तो उसके प्रतिनिधी का भी सम्मान करें
पहले कुछ करो फिर बात करो
देश ने ऐसे बहुत से लोगों को देखा है
जिनका आज नाम - निशान भी नहीं है

मनोज कुमार को दासाहब फालके पुरस्कार - भारत कुमार का सही सम्मान

अभिनेता मनोजकुमार को ४७ वा दादा साहब फालके पुरस्कार के लिए चुनना गौरव की बात है
फिल्म जगत में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता
एक से बढकर एक देशभक्ति की फिल्में इस भारत कुमार ने दी है
जो सदियों तक याद रहेंगे ,एक से एक लाजवाब उनकी फिल्मों के गाने जिसे सुनकर मन में आजादी हिलोरे लेने लगती हो
फिर वह चाहे - मेरा रंग दे वसंती चोला हो या
  मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले हीरे - मोती
गॉवों को उन्होंने साकार रूप दिया , आज भी रहट और बैल शब्द गूंजते हैं
उपकार में तो उन्होंने देश का वह गौरव दिखाया है कि नाज होता है- भारत का रहनेवाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ
आजादी की बात हो या विस्थापित की बात हो या विदेश में बस गए भारतियों की बात हो       
पूरब - पश्चिम के ट्वींकल - ट्वीकल लिटिल स्टार को सुनते ही हँसी आ जाती है और यहॉ के विवाह और माता- पिता के साथ संबंध तथा भारतीय संस्कार जहॉ हम नदियों को भी मॉ का दर्जा देते हैं
कितने शानदार ढंग से फिल्में बनाई
स्वतंत्रता के बाद की समस्या भी अपनी फिल्म
रोटी,कपडा और मकान में दिखाई
भारत का हर रूप का वर्णन उनकी फिल्मों में है
ऐसी फिल्में फिर शायद बनना मुश्किल है
जय जवान जय किसान और आम भारतीय को बखूबी दर्शाना                                                              
कल उनका  इंटरव्यू में जो उन्होंने पत्रकार से कहा कि
मोदी जी को काम करने दीजिए
वे मन की बात मन से करते हैं ,इसके पहले किसको स्वच्छता की चिंता सताई थी  ,बीज डालने ,अंकुर उगने और पनपने में समय तो लगता ही है
कोई जादू की छडी नहीं है घुमाया और हो गया
मतलब आज भी उनके जेहन में देश बसा हुआ है
ऐसे अभिनेता को सम्मान मिलना ही चाहिए
भारत कुमार लाखों में एक ही होते हैं और वह है मनोज कुमार.    -  जयभारत

Friday, 4 March 2016

बिन पानी सब सून -पानी रहेगा तो भैंस भी रहेगी

आजकल टेलीविजन पर पानी से संबंधित विज्ञापन जिसमें पानी को बचाने की कोशिश की है
पुराने मुहावरे जैसे -गई भैंस पानी में
पानी की तरह पैसा बहाना
पसीना याऑसू पानी की तरह बहाना
हर जगह पानी को बहाने की बात कहना
इन जुमलों को बदलना पडेगा
नई सोच लानी पडेगी ,यह विज्ञापन के द्वारा सरकार जनता तक पहुँचाना चाहती है
बिल्कुल सही है ,सोच को बदलना ही पडेगा
अब भैंस को पानी में नहीं बल्कि बाहर धोना पडेगा
पानी का काम स्वच्छता रखना भी है चाहे वह कपडा हो ,बरतन हो ,मनुष्य हो या अन्य जीव -जंतु हो
पीने के लिए पानी तो चाहिए ही साथ ही साथ पेड -पौधो ,फसल ,अनाज ,भोजन के लिए भी जरूरी है
अगर पानी बहता रहा तो पैसा या पसीना कुछ नहीं बहेगा ,तब केवल ऑसू ही बहेंगे
गंदगी को दूर करने का माध्यम पानी जो खुद गंदा हो जाएगा तो गंदगी कैसै दूर होगी
पानी के लिए भी मीटर लगाया जाय
बिजली की तरह ,ताकि लोग बहाने के पहले सोचे
पैसे की मार पडेगी तो कुछ तो लोग पानी बहाने से बचे
सही है जल है तो कल है
जल ही जीवन है, बिन पानी सब सून

मॉ ही नहीं पिता का भी योगदान जीवन में अमूल्य

माता नऊ महीने बच्चे को पेट में रखती है अपने रक्त मॉस से उसका सींचन करती है
मॉ के बिना तो विश्व की कल्पना ही नहीं की जा सकती
ईश्वर से भी बडी मॉ की जगह मानी जाती है क्योंकि उनको भी तो अवतरित होने के लिए मॉ की कोख का सहारा चाहिए
मॉ की ममता और महानता का तो बखान हुआ ही है
पर पिता उसकी महानता
जन्म देती जरूर है मॉ पर पिता उसकी जिंदगी बनाने के लिए क्या नहीं करता
फिर वह चाहे मेहनत ,मजदूरी हो या बेटी के द्वार पर सर झुकाता हुआ
या फिर उसकी पढाई के लिए अपनी जन्मभर की पूंजी लगाना या खेत गिरवी रखना
राम के वियोग में राजा दशरथ ने प्राण तजे थे
यह साबित करता है कि पिता की भूमिका संतान के जीवन में क्या मायने रखती है
उसकी छत्रछाया में निश्चिंत होकर जीता है
क्योंकि सारा भार वह स्वंय हरण करता है
अपने ऑसुओं और दूखो को छिपाता पिता
कहीं भी मॉ के योगदान से कम नहीं ऑका जा सकता

Thursday, 3 March 2016

यह प्रधानमंत्री नहीं एक नेता का वार था विरोधियों पर

आज मोदी जी संसद में सबसे सहयोग की अपील कर रहे थे या शब्दों के बाण छोड रहे थे
हर विषय को उन्होंने छुआ विशेषकर राहुल गॉधी के सवाल का जवाब ,वह भी उदाहरण दे -देकर
जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव और इंदिरा का भी उल्लेख किया
उनकी बातों पर सत्ता पक्ष की खूब तालियॉ बजती रही
और विपक्ष बगले झाकता रहा
विपक्ष के नेता को मंदबुद्धि और असमझदार कहना यह बात प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता
उनको तो बडप्पन दिखाना चाहिए था
अपने पद की गरिमा रखना था न कि तंज दिखाना
प्रधानमंत्री प्रखर वक्ता है उनके सामने तो बडे-बडे भी नहीं टिकेगे तो राहुल की क्या बिसात
वह सहयोग की अपेक्षा कर रहे थे या विपक्ष को जलील कर रहे थे,मजाक उडा रहे थे
सारा विपक्ष हतप्रभ था उनके ही नेताओं का नाम लेकर निशाना साधा जा रहा था
पिछली सरकार के कामकाज को निशाना बनाने की बजाय स्वंय अपने कामकाज से अच्छा साबित करना चाहिए न कि किसने क्या किया
विपक्ष तो बोलेगा ही जब यह लोग विपक्ष में थे तो क्या कर रहे थे
बिन् नाम लिए सब कुछ कह दिया और किसकी तरफ इशारा था वह भी दिख रहा था
विपक्ष के नेता को पप्पूऔर बेवकूफ साबित करना उनके और उनके नेताओं द्वारा
यह विपक्ष कैसे सहन कर सकता है
सदन की गरिमा बनाए रखना तो हर सदस्य की जिम्मेदारी है और प्रधानमंत्री की सबसे ज्यादा
उनके बोल इस तरह है तो उनके नेताओं के तो रहेंगे ही
प्रधानमंत्री अपने कार्यों से अपने को बडा सिद्ध करें
न कि विपक्ष पर प्रहार कर.
जनता ने तो उनको अपना नेता बनाया है अपनी भलाई और अच्छे कार्य करने के लिए
न कि ऐसी बातों पर ध्यान देने के लिए
पर उपदेश कुशल बहुतेरे  -का मुहावरा दूसरों के लिए छोड दे
एक प्रभावशाली और सशक्त नेता की भुमिका निभाए.
गरीब हो या अमीर या मध्य वर्ग हर की जरूरत का ध्यान रखना है न कि एक को खुश करने के लिए दूसरों के साथ अन्याय
नौकरी पेशा वर्ग के साथ भी न्याय हो
उनके पी एफ के पैसों पर डाका न डाला जाए  

यह राष्ट्रपति के अभिभाषण का धन्यवाद नहीं राहुल गॉधी पर वार था

Tuesday, 1 March 2016

Who is packing your parachute

Who is packing your parachute?
न जाने जीवन में हमें कितने लोग मिलते हैं हर कोई किसी न किसी तरह से हमें सहयोग करता है
पर हम समझ नहीं पाते कि इस व्यक्ति के कारण मेरा काम आसान हुआ है
सही है जो पेड छाया देता है उसकी हर पत्ती आदरणीय होनी चाहिए
जिंदगी के रास्ते को आसान बनाने वाले हर शख्श को शुक्रिया

Air Commodore Vishal was a Jet Pilot. In a combat mission his fighter plane was destroyed by a missile. He however ejected himself and parachuted safely. He won acclaims and appreciations from many.

After five years one day he was sitting with his wife in a restaurant. A man from another table came to him and said "You're Captain Vishal ! You flew jet fighters. You were shot down!"

"How in the world did you know that?" asked Vishal.

"I packed your parachute," the man smiled and replied.
Vishal gasped in surprise and gratitude and thought if parachute hadn't worked, I wouldn’t be here today.

Vishal couldn't sleep that night, thinking about that man. He wondered how many times I might have seen him and not even said 'Good morning, how are you?' or anything because, he was a fighter pilot and that person was just a safety worker"

So friends, who is packing your parachute?
M .Everyone has someone who provides what they need to make it through the day.

A .We need many kinds of parachutes when our plane is shot down – we need the physical parachute, the mental parachute, the emotional parachute, and the spiritual parachute.
We call on all these supports before reaching safety.

D .Sometimes in the daily challenges that life gives us, we miss what is really important.

H.We may fail to say hello, please, or thank you, congratulate someone on something wonderful that has happened to them, give a compliment, or just do something nice for no reason.

U. As you go through this week, this month, this year, recognize the people who pack your parachute.

😊 I just want to thank🙏 everyone who packed my parachute this year one way or the other - through your words, deeds, prayers etc!!