Sunday, 8 June 2014

ABKI BAAR HINDI SARKAAR!!!

१४ सितम्बर
हिंदी दिवस साल में एक दिन आता है ।
बैंक,सरकारी कार्यालय,रेल विभाग जहाँ देखो वहाँ हिंदी ही हिंदी ।
पखवाड़े,सप्ताह  मनाएं जाते है,शायद एक हफ्ते या फिर १५ दिन फिर व्ही ढाक के पात
आखिर क्यों?
हिंदी ही नहीं सभी भारतीय भाषाओँ की यह दुर्गति क्यों
कथनी और करनी में फर्क क्यों?
सत्य को हम स्वीकार क्यों नहीं करते
हाय-हाय अंग्रेजी करते-करते,हम उसमे ही  गोतें खा रहे हैं ।
कारण को ढूंढ ना होगा,भाषा को रोजी-रोटी से जोड़ना होगा
अपमान से नहीं सम्मान से देखना होगा,प्रगति की दौड़ में शामिल करना होगा
उसे इस लायक बना ना होगा कि जबरन नहीं ,स्वयं की इच्छा से लोग अपनाएं

अंग्रेजी का विरोध क्यों ?
अंग्रजी में यह गुण है शायद ,तभी तो है उसकी आवश्यकता
हम अपने को तलाशें ,टटोलें और तराशें
हिंदी को इस कदर बनाएँ कि लोग उससे जुड़ें
वह लोगों क पास नहीं लोग उसके पास आएं
अगर यह मुमकिन हुआ तो हिंदी हे क्यों सभी भारतीय भाषाएँ टिक पायेगी
अन्यथा एक अंग्रेजी को छोड़ ,सभी हमको छोड़ जाएँगी  ।

हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रधान मंत्रीजी का धन्यवाद।  

                                       

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