तपस्वी की तपस्या, मनस्वी की साधना,गीता का ज्ञान
सीधा साधा ईमानदार इंसान यही है तुम्हारी पहचान
पिता क्या होता है यह तुमसे ही जाना,माँ अगर नौ महीने गर्भ में रखती है
तो पिता उसकी पल पल उसकी सुरक्षा-सुविधा का ख्याल रखता है
डगमगाते कदमो से सर पर बोझ रखता हुआ पिता
मजदूरी करता रिक्शा चलाता पिता ताकि उसके बच्चेअच्छा जीवन जिये
बासी रोटी खा कर लेकिन बच्चे को ताजी रोटी खिलाता पिता
दफ्तर भर काम कर ट्रैन और बस के धक्के खाता पिता
बेटी के ससुराल के द्वार पर सर झुकाता पिता
माँ की महानता को तो सबने जाना पर पिता का त्याग ?
इतिहास गवाह है अपने बेटे अर्जुन की सुरक्षा के लिये कर्ण से कवच-कुण्डल मांगता हुआ पिता
राम के वियोग में प्राण त्यागते महाराज दशरथ
माँ तो रो लेती है पर पिता कठोर दिखने पर मजबूर होजाता है
घर का मुखिया ही अगर टूट जाये तो क्या होगा
माँ अगर धरती है तो पिता आसमान पिता की छत्र-छाया न हो तो बच्चा निराधार होजाता है
एकदम से बड़ा होजाता है अत पिता के योगदान को नाकारा नहीं जा सकता।
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