Monday, 21 July 2014

पानी की हर बूँद अनमोल हैं

जल ही जीवन हैं, इस जीवनरूपी अमृत को यो न बहाया जाए।
बीएमसी ने इसपर मुहीम भी चला रखी  हैं । बूँद - बूँद  से घट भरता हैं, पर हम इस संपत्ति को संभाल कर रखते हैं क्या ? कितना पानी हम नुक्सान करते हैं , बासी पानी को बहाना या फिर वाश बेसिन पर खड़े हो कर मुह धोते समय या फिर शावर से स्नान करते समय या फिर नल को खुला रख। मॉल , पांच सितारा होटल में सैकड़ो लीटर पानी तो किसी को पीने के लिए पानी नहीं हैं। एक ओर पानी बहाते लोग तो दूसरी तरफ बूँद - बूँद को तरसते  लोग , यह विरोधाभास क्यों ?जैसे हम एक - एक पैसे जोड़ते हैं तथा उसका हिसाब रखते हैं , वैसे ही इस प्राकृतिक संपदा को भी संभाल कर उपयोग करना होगा। 
बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार की इस मुहिम में जन - जन को अवश्य सहयोग करना चाहिए। 



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