तन काला, आवाज़ कर्कश, उसके बाद भी प्रतीक्षा,
श्राद्ध के समय और पितृपक्ष में अचानक महत्त्व बढ़ जाना,
कहाँ भागना और कहाँ आदर से बाट जोहना,
मेहमान के आने की सुचना देता कौआ, सड़ी - गली चीज़ो का भक्षण करता कौआ,
कव्वे की उपयोगिता को नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता,
शायद इसीलिए नियम बनाया गया हो की हमेशा तो सड़ी - गली चीज़े खाता है,
कम से कम साल के पंद्रह दिन तो उसे अच्छा भोजन मिले,
हर पक्षी को आदर और महत्व देना भी इसके पीच्छे उद्देश हो सकता है,
हर जीव की सेवा धर्म है और निश्चित ही हमारे पितृ भी इसपर प्रसन्न होते होंगे।
श्राद्ध के समय और पितृपक्ष में अचानक महत्त्व बढ़ जाना,
कहाँ भागना और कहाँ आदर से बाट जोहना,
मेहमान के आने की सुचना देता कौआ, सड़ी - गली चीज़ो का भक्षण करता कौआ,
कव्वे की उपयोगिता को नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता,
शायद इसीलिए नियम बनाया गया हो की हमेशा तो सड़ी - गली चीज़े खाता है,
कम से कम साल के पंद्रह दिन तो उसे अच्छा भोजन मिले,
हर पक्षी को आदर और महत्व देना भी इसके पीच्छे उद्देश हो सकता है,
हर जीव की सेवा धर्म है और निश्चित ही हमारे पितृ भी इसपर प्रसन्न होते होंगे।
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