मोदी सर की क्लास, एकदम सुपर-डुपर हिट, एक्स्ट्रा क्लास होने के बावजूद भी बच्चे ऊबे नहीं।
चाचा नेहरू के बाद बच्चो से संवाद साधने वाला प्रधानमंत्री, हर वर्ग की नब्ज़ टटोलने वाला।
इसमें राजनीति भी हो सकती है शायद, बच्चे भविष्य का वोट बैंक हो सकते है।
लेकिन इन सबसे परे हट कर देखे तो -
- शिक्षक की इज़्ज़त करना , शिक्षको का अपने कर्त्तव्य को का पालन करना
- स्वच्छता का पाठ पढ़ना, बिजली, पानी, पेड़ के उदहारण द्वारा योगदान
- खेलने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना, निस्वार्थ सेवाभाव, स्वव्लाम्भान का महत्त्व समझाना, ज्ञान दुसरो को ज्ञान बांटना, नए टेक्नोलॉजी को सीखना कही से कुछ भी गलत नहीं है।
लेकिन इसके साथ साथ यह भी जरूरी है शिक्षको और बच्चो को सभी सुविधाए मुहैया कराई जाए।
बच्चो की शारीरिक, आर्थिक, मानसिक सभी की ओर ध्यान दिया जाए।
उनकी क्षमता को उजागर करने का अवसर प्रदान किया जाए।
उनको पेट की चिंता न हो कर सीखने की ओर प्रोत्साहित किया जाए।
गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी इस लिए महान बने क्यूंकि वह राजा के बेटे थे।
उनको पेट और भोजन की चिंता नहीं बल्कि ज्ञान और सत्य की तलाश थी।
बच्चो को चिंता मुक्त करिये और उनको आगे बढ़ने के सारे अवसर दिए जाए, यही मोदी सरकार से अपेक्षा है।
No comments:
Post a Comment