यह आकाशवाणी रेडियो है, यह हवामहल है,
यह बिनाका गीत माला है, अमिन सयानी की आवाज़,
आज तक कानो में गुजती है। फौजी भाइयो का कार्यक्रम,
पुराने सदाबहार गीत, क्रिकेट की कमेंट्री, नए - नए अतिथियों को बुलाना,
समाचार, नेताओ के भाषण, क्या दिन थे वे, हमेशा इन कार्यक्रमों का इंतज़ार रहता था।
आज टीवी के सामने बैठ कर रिमोट कभी इस चैनल पर तो कभी उस चैनल पर,
एक भी कार्यक्रम व्यवस्थित नहीं देख पाते,
रेडियो को वापस लाना अपने आप में बड़ा कदम है,
आज भी सबके पास टेलीविज़न नहीं है, लेकिन रेडियो तो जन - जन तक पहुंच सकता है।
मोदीजी की यह पहल सराहनीय है तथा मन की बात में उनका भाषण काफी प्रेरणादायी लगा।
आज पूरे संसार में रेडियो डे मनाया जा रहा है
यह बिनाका गीत माला है, अमिन सयानी की आवाज़,
आज तक कानो में गुजती है। फौजी भाइयो का कार्यक्रम,
पुराने सदाबहार गीत, क्रिकेट की कमेंट्री, नए - नए अतिथियों को बुलाना,
समाचार, नेताओ के भाषण, क्या दिन थे वे, हमेशा इन कार्यक्रमों का इंतज़ार रहता था।
आज टीवी के सामने बैठ कर रिमोट कभी इस चैनल पर तो कभी उस चैनल पर,
एक भी कार्यक्रम व्यवस्थित नहीं देख पाते,
रेडियो को वापस लाना अपने आप में बड़ा कदम है,
आज भी सबके पास टेलीविज़न नहीं है, लेकिन रेडियो तो जन - जन तक पहुंच सकता है।
मोदीजी की यह पहल सराहनीय है तथा मन की बात में उनका भाषण काफी प्रेरणादायी लगा।
आज पूरे संसार में रेडियो डे मनाया जा रहा है
भारत में इसे फिर से वापस लाने का श्रेय मोदी जी को है
उनकी मन की बात को गौर से सुना जा रहा है
अब फिर से रेडियो की आवाज गूंजने लगी है
रेडियो कहीं गया नहीं था
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