आत्महत्या कौन करता है, दुखी, निराश, लाचार, असफल,
जिंदगी बहुत प्यारी होती है, अगर तूफ़ान - भूकम्प या कोई दुर्घटना हो जाये तो व्यक्ति स्वयं को बचाने का जी - जान से प्रयास करता है।
अपने को खुश रखने के लिए वह क्या क्या नहीं करता,
वही व्यक्ति क्यों एक झटके में मृत्यु को गले लगा लेता है,
इसका कारण ढूंढना और उसे जिंदगी के प्रति भरोसा दिलाना चाहिए,
न की अगर आत्महत्या में असफल हो गया तो क़ानूनी पचड़े में पड़े और जेल जाना पड़े,
इसका यह मतलब नहीं के खुदकुशी या आत्महत्या का समर्थन करना चाहिए,
बल्कि उस व्यक्ति के प्रति सहानभूति और संवेदना होना चहिये,
उसे इतनी अनमोल जिंदगी के प्रति विश्वास और भरोसा दिलाना चाहिए,
इस लिहाज से मोदीजी ने आईपीएस की इस धारा को ख़त्म किया जिसमे आत्महत्या कानूनन अपराध है, उसका स्वागत है।
जिंदगी बहुत प्यारी होती है, अगर तूफ़ान - भूकम्प या कोई दुर्घटना हो जाये तो व्यक्ति स्वयं को बचाने का जी - जान से प्रयास करता है।
अपने को खुश रखने के लिए वह क्या क्या नहीं करता,
वही व्यक्ति क्यों एक झटके में मृत्यु को गले लगा लेता है,
इसका कारण ढूंढना और उसे जिंदगी के प्रति भरोसा दिलाना चाहिए,
न की अगर आत्महत्या में असफल हो गया तो क़ानूनी पचड़े में पड़े और जेल जाना पड़े,
इसका यह मतलब नहीं के खुदकुशी या आत्महत्या का समर्थन करना चाहिए,
बल्कि उस व्यक्ति के प्रति सहानभूति और संवेदना होना चहिये,
उसे इतनी अनमोल जिंदगी के प्रति विश्वास और भरोसा दिलाना चाहिए,
इस लिहाज से मोदीजी ने आईपीएस की इस धारा को ख़त्म किया जिसमे आत्महत्या कानूनन अपराध है, उसका स्वागत है।
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