Tuesday 23 December 2014

राजनीति में आने का अधिकार हर व्यक्ति को है।

वंशवाद का बार - बार राग नेताओं द्वारा जनता के सामने अलापा जाता है,
पर आज स्तिथि क्या है ? कौन सी पार्टी वंशवाद से अछूती है ?
पहले एक नेहरू - गाँधी परिवार पर वंशवाद का आरोप लगाया जाता था,
लेकिन आज ऐसा है है।

हर राज्य में किसी भी पार्टी चाहे वह कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस, समाजवादी, या बी.एस.पि या पी. डी. पी, कोई भी इनसे अछूती नहीं है। वंश, परिवार, रिश्तेदार कहीं कहीं मुख्या पदो पर विद्यमान है। 
और इसमें बुरा क्या है ? खिलाडी का बेटा खिलाडी, अगर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर, हीरो का बेटा हीरो, तो मंत्री का बेटा मंत्री या नेता क्यों नहीं बने ? 

अगर वह योग्य है तो क्यों नहीं ? अगर वह जनता की सेवा और राजनीति में आना चाहता है तो उसे भी हक़ है, अधिकार है।  इसमें कोई आलोचना नहीं होना चाहिए।  देश को अच्छे और ईमानदार, सेवा करने वाला नेता चाहिए चाहे कोई भी हो। 

बड़े मंत्री के बेटे - बेटी या सामान्य जनता या फिर कोई चायवाला। 
कोई फर्क नहीं पड़ता।




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