टमाटर बाज़ार में २० रुपीज़ किलो के भाव से ,बढ़िया है,
बाज़ार में और मंडी में इससे भी काम भाव में तो किसानो से किस भाव में?
टमाटर को फेकना पड़ा और जानवरों को खिलाना पड़ा यानि किसान कितना मजबूर,
सिक्स्थ पेय कमीशन,कॉर्पोरेट जगत की नौकरी लेकिन सामान १० साल पहले वाली कीमत में ही चाहिए,
गरीब की तो ठीक है लेकिन उची कमाई करने वालो की भी यही सोच है,
फिर किसान के आत्महत्या करने पर हायतौबा क्यों ।
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