Monday, 8 December 2014

कब तक युवाओ की जान जाती रहेगी ?

प्रेम प्रकरण के चलते जान से हाथ धोना पड़ा या फिर घर वालो ने युवक - युवती को खाने में ज़ेहर देकर मार डाला या माँ ने बेटी की हत्या कर दी या भाई ने बहन को मार दिया , आये दिन ऐसी घटनाये देखने और सुनने को मिलती है।  क्यों किसीकी जिंदगी को अपनी अमानत समझ लिया जाता है।

सभी को जीवन जीने का, अपनी पसंद - नापसंद जाहिर करने का, शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। फिर क्यों खाप पंचायते, समाज, परिवार, माता - पिता को ऐसा कदम उठाना पड़ता है। क्यों नहीं सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत करते है। हर कोई बदनामी से डरता है। एक दूसरे पर उंगलिया उठाने की आदत से बाज आये और निडर होकर परिवर्तन को स्वीकार करे।


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