भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास माता कैकई ने दिया जो राजा दशरथ के कर्मो का फल था,
श्रवण कुमार के अंधे माता - पिता को मारने के कारण श्राप घाषित हुए थे और पुत्र वियोग में प्राण जाने का श्राप मिला था, माता और पिता की आज्ञा मानने का परिणाम यह की राम आज तक भटक ही रहे है,
उनको अपनी जमीन तो मिली नहीं हाँ मर्यादा पुरषोत्तम को विवाद पुरुष अवश्य बना दिया गया।
राम के नाम पर अपनी सत्ता की रोटिया सेकने वाले राजनीतिज्ञों को शायद ज्ञान नहीं की राम ने स्वेच्छा से राज्य का त्याग किया था, जरा भी शिकन उनके चहरे पर वन जाते समय नहीं हुई.
आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, राम के चरित्र में कही कोई कमी नहीं,
उसी राम के नाम का उपयोग रोज़ किसी न किसी विवाद से जोड़ दिया जाता है,
अतः भगवान राम के नाम का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए न किया जाए तो अच्छा है।
श्रवण कुमार के अंधे माता - पिता को मारने के कारण श्राप घाषित हुए थे और पुत्र वियोग में प्राण जाने का श्राप मिला था, माता और पिता की आज्ञा मानने का परिणाम यह की राम आज तक भटक ही रहे है,
उनको अपनी जमीन तो मिली नहीं हाँ मर्यादा पुरषोत्तम को विवाद पुरुष अवश्य बना दिया गया।
राम के नाम पर अपनी सत्ता की रोटिया सेकने वाले राजनीतिज्ञों को शायद ज्ञान नहीं की राम ने स्वेच्छा से राज्य का त्याग किया था, जरा भी शिकन उनके चहरे पर वन जाते समय नहीं हुई.
आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, राम के चरित्र में कही कोई कमी नहीं,
उसी राम के नाम का उपयोग रोज़ किसी न किसी विवाद से जोड़ दिया जाता है,
अतः भगवान राम के नाम का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए न किया जाए तो अच्छा है।
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