Friday, 23 January 2015

चुनावी मौसम के आयाराम-गयाराम !!!

                                                       
दाल बदल की राजनीती चुनाव आते ही शुरू होगयी 
पार्टी ने टिकट नहीं दिया  तो दूसरी पार्टी का दामन पकड़ लिया 
एक समय था की  नेताओ का  पार्टी  आजाती थी 
आज तो आयाराम-गयाराम की स्तिथि होगयी है 
क्या नेता इतने स्वार्थी होगये है की पार्टी के लिए उनका कोई कर्त्तव्य नहीं है 
बड़े बड़े दिग्गज एंड वख्त में धोखा दे दे रहे है 
क्षणभर में मूल्य और सिद्धांत बदल जाते है 
कल तक जिसकी आलोचना कर रहे थे आज उनको सर माथे पर बिठाया जा रहा है 
यह तो भारत जैसे जनतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है । ।


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